भारत का चंद्र मिशन लॉन्च हो चुका है. चंद्र मिशन को सफल बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. देश और दुनिया की निगाहें इस मिशन पर है. कह सकते हैं कि चंद्रयान-3 भारत की छवि का चार चांद लगाने के लिए रवाना हो चुका है. इस पूरे मिशन को ज्योतिष गणना के अनुसार समझने और जानने की कोशिश करते हैं-
चंद्रयान 3 मिशन विश्व पटल पर भारत की छवि को मजबूत करेगा
पिछले चंद्रयान मिशन की विफलता से इसरो ने सीख लेकर इसके चंद्रमा की सतह पर उतरने के दायरे को बढ़ा दिया है, जिससे इसकी विफलता की संभावनाएं कम हो जाएं. अब देखना यह है कि क्या यह Chandrayaan-3 चंद्रमा पर आसानी से उतर कर अपना काम पूरा कर पाएगा और विश्व के चौथे देश के रूप में भारत को चंद्रमा पर मान्यता दिलाएगा.
इस लॉन्चिंग में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रक्षेपण से पूर्व इसरो के प्रमुख वैज्ञानिकों जिसमें लगभग 3 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल थे, गुरुवार 13 जुलाई 2023 की सुबह तिरुमाला स्थित श्री वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करके Chandrayaan-3 की सफलता की प्रार्थना कर चुके हैं.
चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 सतह पर ठीक से लैंड ना होने के कारण सफल नहीं हो सके थे. अगर यह मिशन सफल हो जाता है तो भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले देशों में अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा सफल देश बन जाएगा इसलिए सभी की दुआएं इस मिशन के साथ जुड़ी हैं और यह हम भारतवासियों के लिए गर्व का विषय बनने वाला है.
Chandrayaan-3 ग्रहों की स्थिति
14 जुलाई 2023 दोपहर 2:35 पर श्रीहरिकोटा के विवरण पर तैयार जन्मकुंडली के आधार पर वृश्चिक लग्न उदय हो रहा है. लग्न के स्वामी मंगल दशम भाव में शुक्र के साथ विराजमान हैं और इस मिशन को बल मिलने की प्रबल संभावना है, क्योंकि लग्नेश का दशम में होना और वहां से लग्न को देखना लग्न और दशम दोनों भागों को प्रबल बना रहा है जो भारत की इस मिशन के प्रति और विशेष रूप से इसरो और उसके वैज्ञानिकों की दृढ़ता को दिखाता है.
मंगल के साथ शुक्र का होना महिला वैज्ञानिकों के लिए भी एक प्रमुख अवसर है कि जब वह अपनी दुनिया पर छाप छोड़ सकें. चतुर्थ भाव में बैठे वक्री शनि इस पर कुछ समस्या उत्पन्न कर सकते हैं, लेकिन शनि – मंगल का संयुक्त प्रभाव तकनीकी कार्यों में शुभ माना जाता है. इसलिए उम्मीद कर सकते हैं कि यह समस्याओं को दूर करने वाले साबित होंगे.
लॉन्चिंग के समय भाग्यस्थान के स्वामी चंद्रमा सप्तम भाव में बैठकर उच्च हो गए हैं और चंद्रमा का उच्च होना चंद्रयान के लिए बहुत अनुकूल माना जा सकता है और सबसे अच्छी बात यह है कि वृषभ राशि में चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होंगे जो कि उनका सबसे अनुकूल नक्षत्र माना जाता है. ऐसे में इस मिशन को सफलता मिलने की प्रबल संभावना दिखाई दे रही है.
चंद्रमा की राशि के अनुसार चंद्र, बुध और बृहस्पति का मुख्य प्रभाव इस प्रक्षेपण के दौरान रहना की संभावना है. यहां चंद्रमा भाग्येश होकर सप्तम भाव में उच्च राशि के हैं जबकि बुध अष्टमेश और एकादशेश होकर भाग्य स्थान में विराजित हैं तथा बृहस्पति द्वितीयेश और पंचमेश होकर छठे भाव में राहु के साथ स्थित हैं और उन पर वक्री शनि की दृष्टि है. दशम भाव के स्वामी सूर्य महाराज अष्टम भाव में स्थित हैं. यह ज्यादा अनुकूल स्थिति नहीं है. इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि यह मिशन सफल हो सकता है, मगर बहुत अड़चनें आने की संभावना भी नजर आ रही है.